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शासकीय कन्या महाविद्यालय बड़वानी में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का हुआ आयोजन

सुभाष पटेल 

बड़वानी / शासकीय कन्या महाविद्यालय बड़वानी में एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी “मोटे अनाज – स्वास्थ्य, पोषण और पर्यावरण के प्रति एक स्थायी दृष्टिकोण” का आयोजन प्राचार्य डॉ. वंदना भारती के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष बड़वानी श्री बलवंतसिंह पटेल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मोटे अनाज को श्रीअन्न के नाम संबोधित किया है, लेकिन वर्तमान समय में मोटा अनाज थाली से लुप्त होता जा रहा है। इसे वापस लाने के लिये प्रयास किये जा रहे है।

विशेष अतिथि संयुक्त कलेक्टर एवं जनभागीदारी अध्यक्ष श्री सोहन कनाश ने शोध संगोष्ठी की शुभकामना देते हुये कहा कि जो गेहूँ हम खाते है वह नुकसान दायक है उसके बजाय हमें मोटे अनाजो का उपयोग करना चाहिये। क्योंकि गेहू उत्पान में रासायनिक खाद का अधिक प्रयोग किया जा रहा है, विशेष अतिथि के रूप में डॉ. एसएन यादव भुतपूर्व कुलपति अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवा ने कहा कि यज्ञ में जो आहूति दी जाती है वह मोटा अनाज ही है और प्राचीन समय से इसका उपयोग किया जा रहा है।

विशेष अतिथि के रूप में प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सिलेन्स बड़वानी ने कहा कि मेरे शोधार्थी द्वारा निमाड़ के पाँच जिले के मोटे अनाज पर रिसर्च किया है शायद यह शोध स्वास्थ्य के लिये बड़ा योगदान दे सकता है एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी इस विषय पर शोध कार्य कर सकते है। मोटे अनाज विषम परिस्थितियों में भी जीने का साहस रखते है। इसे ग्रामीण क्षेत्रो से लेकर ग्लोबल स्तर तक ले जाना चाहिये।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. वंदना भारती ने कहा कि मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, सांवा आदि को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने श्रीअन्न के नाम से संबोधित किया क्योंकि यह न केवल स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर होता है बल्कि इसमें बहुत सारे औषधीय गुण भी होते है साथ ही यह न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिये प्रासंगिक है बल्कि हमारे पर्यावरण और कृषि प्रथाओं के लिये भी महत्वपूर्ण है। मिलेट्स को पोषण संबंधित पॉवर हाउस के रूप में भी जाना जाता है। वे प्रोटीन विटामिन फायबर सहित आवश्यक पोषक तत्वो से भरपूर होते है और खाद्य असुरक्षा एवं कुपोषण से संबधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये उनमें अपार क्षमता है।

शोध संगोष्ठी के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. एस.के. बड़ोदिया प्रधान कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी ने विषय मोटे अनाज कृषि एवं पर्यावरण के प्रति एक स्थायी दृष्टिकोण पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि मोटा अनाज वह है जो पोषक तत्वों से भरपूर होते है और जिनका उपयोग मानव व पशु आहार दोनो में किया जाता है। इन्हें सुपर फुड के रूप में भी जाना जाता है साथ ही मोटे अनाज से विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते है जो स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है।

दूसरे मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. मुनीरा हुसैन प्राध्यापक आहार एवं पोषण इन्दौर ने कुपोषण और अपक्षयी रोगो से निपटान में मोटा अनाज की भूमिका एक अवलोकन पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि कुपोषण, यानि अल्पपोषण या अतिपोषण, वर्तमान समय में एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है. भारत में वाल्यकाल का अल्प पोषण, युवाकाल का अतिपोषण तथा गलत खान-पान एवं जीवन शैली, अपक्षयी रोगों के प्रसार में योगदान देता है। इन परस्पर जुड़े मुद्दों को संबोधित करने के लिए मोटा अनाज एक व्यवहार्य समाधान के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। मोटा अनाज, अत्यधिक पौष्टिक और लचीले अनाजों का एक समूह है, जो प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों सहित आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो उन्हें स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और कुपोषण को रोकने के लिए एक आदर्श आहार घटक बनाता है।

विशेष वक्ता के रूप में डॉ. निरज सिंह कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र एटा उत्तरप्रदेश ने मोटे अनाज प्रसंस्करण और मूल्यसंवर्धन पर विचार रखते हुये कहा कि मोटा अनाज ही एक मात्र ऐसा अनाज है जिसे 2023 में मिलेट वर्ष के रूप में मनाया गया है। मिलेट्स ही जलवायु पर्यावरण, मिट्टी सभी को बचाने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वर्तमान समय में प्रत्येक वस्तु की उपलब्धता होने के बावजूद भी अनेक प्रकार की बीमारिया घर कर रही है क्योंकि आज हम उत्पादन के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ रहे है कि पोषण की ओर ध्यान ही नही दे पा रहे है साथ ही मोटे अनाज के मूल्य संवर्धन एवं प्रोसेंिसंग के फायदे बताये।

विशेष वक्ता डॉ. प्रिया चितले मुख्य आहार विशेषज्ञ अपोलो होस्पिटल इन्दौर ने मोटे अनाज एवं कुपोषण पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि लगभग 45 प्रतिशत भारतीय कुपोषित है। कुपोषण को महत्व देते हुये मोटे अनाज को नियमित सेवन करना जरूरी बताया है। मौसम के अनुसार हर प्रकार के फल और मोटे अनाज के अतिरिक्त अन्य खाद्य पदार्थो को लिमिट में लेने से स्वास्थ्य में संतुलन बना रहता है।

तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. मंजुला विश्वास प्राध्यापक सरोजिनी नायडू स्वशासी महाविद्यालय भोपाल ने की है। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठि के उप विषय जैसे: स्वास्थ्य एवं पोषण में मोटे अनाज की उपयोगिता। भारती संस्कृति पर्यावरण एवं सतत विकास में मोटे अनाज की भूमिका विषय पर प्रकाश डालते हुये डॉ. कविता भदौरिया वरिष्ठ प्राध्यापक ने कहा कि मोटे अनाज ईसा से लगभ 3000 वर्ष पहले सिंधु घाटी सभ्यता के समय से परम्परागत जीवन शैली का हिस्सा है। प्राचीन साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है। पुरंदर दास की राग ठठिरा से लेकर अबुल फज़ल के आईने अखबरी में मोटे अनाज का उल्लेख मिलता है। यह स्वस्थ्य जीवन शैली का आधार है तथा पर्यावरण संरक्षण में सहायक है।

डॉ. रविन्द्र बरडे ने मोटे अनाज से दूर होते हुये मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदाय पर पेपर प्रस्तुत किया।

डॉ. श्वेता केसवानी ने मिलेट्स एण्ड प्रिवेन्शन ऑफ डिजनरेटिव डिसिज़ विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। डॉ. सुप्रिया अग्रवाल ने मिलेट्स युक्त लड्डु पर विशेष चर्चा की। डॉ. परवेज मोहम्मद एवं डॉ. मंशाराम बघेल ने मोटे अनाज की उपयोगिताओं के विभिन्न आयाम बताये। डॉ. रामेश्वर गुप्ता मोटे अनाज के स्टार्टअप को बढ़ावा देने में शासन की भूमिका पर जोर दिया। डॉ. अनिल पाटीदार ने मोटे अनाज भारतीय संस्कृति की जीवन्त परम्परा का बताया। डॉ. श्याम नाईक ने मोटे अनाज के महत्व व उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेखा जमरे के सहयोग से प्रभारी डॉ. महेश कुमार निंगवाल के मार्गदर्शन में रक्त शर्करा हिमोग्लोबीन व सिकल सेल एनिमिया का मुफ्त में लगभग 130 छात्राओं का परीक्षण किया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मिलेट्स युक्त भोज्य सामग्री जैसे रागी ज्वार बाजरा के लड्डु और पापड़ की आदि की प्रदर्शनी लागाई। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बड़वानी विधायक श्री राजन मण्डलोई ने कहा कि मोटा अनाज प्रत्येक व्यक्ति की थाली में होना चाहिये । खासकर गर्भवती महिलाओं के लिये मोटा अनाज वरदान सिद्ध होता है। साथ ही इन्होंने महाविद्यालय के एन.एस.एस. विभाग के लिये अनुदान राशि की घोषणा की। विशेष अतिथि के रूप में श्री ऋषि राणा मुख्य प्रबंधक प्क्ठप् ठंदा ने सेमीनार हेतु सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. श्वेता केसवानी सहायक प्राध्यापक वैष्णव विद्यापीठ इन्दौर ने की ।

कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. प्रियंका देवड़ा व सह संयोजक प्रो. दिपाली निगम द्वारा किया गया। कार्यक्रम का प्रतिवेदन आयोजक सचिव डॉ. सुनीता भायल द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का आभार सह संयोजक प्रो. अलका तोमर व प्रो. सोनाली जोशी द्वारा माना गया।

इस अवसर पर बड़वानी जिले के विभिन्न महाविद्यालय प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सिलेन्स बड़वानी, शासकीय आदर्श महाविद्यालय बड़वानी, शासकीय विधि महाविद्यालय, बड़वानी, शासकीय महाविद्यालय पाटी, शासकीय महाविद्यालय, अंजड़, शासकीय महाविद्यालय राजपुर, शसकीय महाविद्यालय मनावर, शासकीय महाविद्यालय, धार, शासकीय महाविद्यालय, खरगोन एवं शासकीय सेवा सदन महाविद्यालय बुरहानपुर से प्राचार्य/प्रध्यापक/सह प्राध्यापक/सहा. प्राध्यापक/अतिथि विद्वान साथ ही महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं प्रशासनिक अधिकारी डॉ. एन.एल. गुप्ता, डॉ. कविता भदौरिया, डॉ. स्नेहलता मुझाल्दा, डॉ. जगदीश मुजाल्दे, डॉ. मनोज वानखेड़े, डॉ. रविन्द्र बरडे, डॉ. दिनेश सोलंकी, डॉ. महेश कुमार निंगवाल डॉ. विक्रम सिंह भिड़े डॉ. इन्दु डावर, डॉ. स्मिता यादव, प्रो. सीमा नाईक, डॉ. पदमा आर्य, प्रो. पवन कुमार सिंह, प्रो. अंशुमन चौहान, प्रो. सुरसिंह जामोद प्रो. प्रियंका शर्मा, प्रियंका शाह, प्रो. आयुषी व्यास, प्रो. अमृता यादव, श्री कृष्णु यादव व छात्राएँ, तथा तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एवं महाविद्यालयीन छात्राएँ भी उपस्थित थे।

SUBHASH PATEL
Author: SUBHASH PATEL

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