सुभाष पटेल
बड़वानी/युवा पीढ़ी पढ़े देवी अहिल्या बाई होल्कर का इतिहास- डॉ. सत्य
राजमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन की गाथा बहुत ही प्रेरक है. महिला सशक्तीकरण के वो एक मिसाल है. पति की मृत्यु के उपरान्त उन्होंने इतने बड़े राज्य को सुचारू रूप से संचालित करके प्रशासनिक कुशलता का अभूतपूर्व परिचय दिया. उनकी न्यायप्रियता अद्वितीय थी. आपने उनके सुन्दर चित्र बनाए हैं. आप सभी उनका इतिहास पढ़िए और उनके गुणों को आत्मसात कीजिये. ये बातें प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानन्द करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित चित्रकला और व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम में चालीस विद्यार्थियों द्वारा अहिल्या बाई होल्कर पर बनाए गए चित्रों का अवलोकन करते हुए प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य ने कहीं. समन्वयक कार्यकर्ता वर्षा मुजाल्दे और संजू डूडवे ने बताया कि वोकेशनल कोर्स व्यक्तित्व विकास के प्रशिक्षु विद्यार्थियों ने सीसीई तथा प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत देवी अहिल्या बाई होल्कर की तीन सौवीं जयंती के परिप्रेक्ष्य में उनके चित्र, कोलाज और पोस्टर बनाए. प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र और पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे.
इन्होने किया अवलोकन
विद्यार्थियों की कलाकृतियों का शासकीय आदर्श महाविद्यालय, बड़वानी के प्राचार्य डॉ. बलराम बघेल, प्रशासनिक अधिकारी डॉ. डी. के. वर्मा, डॉ. अभिलाषा साठे, डॉ. दिनेश परमार, डॉ. एम.एस.मोरे, डॉ. जयराम बघेल, आर्टिस्ट धीरज सगोरे एवं कशिश पाटीदार ने अवलोकन किया और विद्यार्थियों की प्रतिभा तथा करियर सेल के नवाचारों की भूरि-भूरि प्रशंसा की.
चित्र बनाते हुए मिली प्रेरणा
छात्रा हंसा धनगर और आरती धनगर ने कहा कि देवी अहिल्या बाई होल्कर का चित्र बनाते समय हमने उनका इतिहास भी पढ़ा. उनके व्यक्तित्व को समझा और उनसे शिक्षा ली कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बहुत अच्छा कार्य किया जा सकता है. उनकी न्यायप्रियता, निष्पक्षता और प्रजा वत्सलता से बहुत प्रेरणा मिली.
यह है उद्देश्य
व्यक्तित्व विकास विषय के प्रशिक्षक डॉ. मधुसूदन चौबे ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं को भारत के गौरवशाली इतिहास से जोड़ना तथा भारत के इतिहास की महान विभूति देवी अहिल्या बाई होल्कर के व्यक्तित्व से परिचित करवाकर उनके पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित करना रहा है. साथ ही उन्हें कलाओं में निपुण बनने का अवसर देकर कला के क्षेत्र में विद्यमान व्यावसायिक संभावनाओं का लाभ लेने के लिए तैयार करना है.
आयोजन में सहयोग डॉ. अन्तिम मौर्य, राहुल भंडोले, संजू डूडवे, नागर सिंह डावर का रहा.
