वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय वाराणसी में हैं. उन्होंने आज बीएचयू में संसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार दिए. फिर वह संत रविदास मंदिर पहुंचे. पीएम मोदी संत गुरु रविदास की 647वीं जयंती समारोह में शामिल हुए. यहां उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में काशी में काफी विकास हुआ है. अगले पांच वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा. देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा और ये मोदी की गारंटी है. काशी संवर रही है, आगे इसे और संवारना है.
उन्होंने कहा कि जिस काशी को काल से भी प्राचीन कहा जाता है, उसकी पहचान को युवा पीढ़ी जिम्मेदारी से सशक्त बना रही है. इस दौरान मोदी ने पंजाब का भी जिक्र किया. कहा कि वाराणसी में आज मिनी पंजाब दिख रहा है. बता दें, रविदास जयंती समारोह कई जिलों और राज्यों में आम है. लेकिन 15वीं सदी के संत रविदास की जन्मस्थली होने के कारण काशी के अलग मायके हैं.
गुरु रविदासजी मध्यकाल में एक भारतीय संत कवि सतगुरु थे. इन्हें संत शिरोमणि सत गुरु की उपाधि दी गई है. इन्होंने रविदासीया, पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं. इन्होंने जात पात का घोर खंडन किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया. संत रविदास को सिख लोग बहुत मानते हैं.
संस्कृत भाषा को लेकर भी मोदी ने कहा कि हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है. भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है. भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है. भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम
